क्यों है पांगी(Pangi) इतना ख़ास?
अगर आप पहले हिमाचल घूम चुके हैं और आपको लगता है कि आपने वहां की सारी खूबसूरती देख ली है तो अब आपको एक बार फिर से सोचना होगा. हिमाचल की असली खूबसूरती अगर देखनी है तो उसकी दूर-दराज घाटियों में बसे गाँव में जाकर देखिये. पांगी घाटी(#pangi Valley) ऐसी ही एक बेहद खुबसूरत जगह है. हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित पांगी(#pangi Valley) घाटी 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. अगर पांगी(#pangi Valley) देखने के बाद आपको ये जगह रहस्यमय लगे तो इसमें कोई आश्चर्य की बात न होगी. यह जगह और भी रोचक हो जाता है इस स्थान तक पहुंचने की कठिनाई के कारण! पांगी घाटी(#pangi Valley) अपने आप में बहुत बड़ा है जोकि 1600 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र घेरता है.
जितनी खुबसूरत यह जगह है उतनी ही शांत भी तो अगर आप शहरी जीवन से थक गये हैं और कुछ समय के लिए शांति की तलाश करना चाहते हैं तो Meditation Center के स्थान पर यहाँ आने का भी प्रोग्राम बना सकते हैं! पांगी सिर्फ एक गाँव नहीं है यहाँ आसपास और भी कई स्थान हैं घूमने लायक, जिसके बारे में आमतौर पर पर्यटक लोगों को जानकारी नहीं होती है .
भाषा –
यहाँ के लोग आपस में पंग्वाली बोलियाँ में बाते करते है. बाहर से आने वाले लोगों से यहाँ के लोग हिंदी या अंग्रेजी में बात करते हैं ताकि उनको पर्यटन में कोई समस्या न हो.
कपड़ों-
पांगी(#pangi Valley) में आमतौर पर हर महीने मौसम ठंढा ही रहता है. लेकिन सर्दियों में महीनों में अगर आप पांगी(#pangi) आते हैं तो बहुत अधिक गर्म कपड़ो की आवश्यकता होती है क्योंकि उस समय यहाँ लगातार बर्फ पड़ती रहती है. उस समय यहाँ भारी ऊनी कपड़ों की जरूरत रहती है.
कैसे पहुँचें-
हवाई मार्ग : अगर आप हवाई मार्ग से यहाँ तक पहुचंना चाहते हैं तो निकटतम हवाई अड्डा कांगड़ा(Kangra) जिले में गग्गल(Gaggal) है। इसके आगे आपको बस की सेवा लेनी पड़ सकती है हालाँकि, अगर मौसम अनुमति देता है, तो हेलीकॉप्टर की सवारी भी उपलब्ध है – खासकर वसंत और सर्दियों में!
रेल मार्ग : रेल मार्ग से आते हुए निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट में है जहाँ से बस की सेवा ली जा सकती है.
सड़क मार्ग : अगर आप सड़क मार्ग से घाटी तक पहुँचना चाहते हैं तो इसके तीन रास्ते हैं. पहला मनाली से किलार तक का रास्ता, दूसरा जम्मू से किस्तवार होते हुए किलार तक का रास्ता और तीसरा चंबा से साच-पास के ज़रिए किलार तक का रास्ता.
पांगी घाटी(Pangi Valley) के बारे में
सड़कों के हाल ही में हुए विकास ने इस स्थान की ओर में पर्यटक को आकर्षित किया है, खासकर साच-पास का रास्ता बहुत ही लोकप्रिय हुआ है. यहाँ के स्थानीय लोग जमीन जोतने के आलावा मटर और सेब जैसी नकदी फसलें उगाने में सक्षम हैं. घाटी में ज़्यादातर स्थानीय जनजातियाँ पंगवाला और भोटी के साथ-साथ हिंदुओं और बौद्धों की कुछ बस्तियाँ हैं. घाटी में साहित्य के साथ-साथ एक समृद्ध स्थानीय रंगमंच दृश्य भी है जोकि यहाँ के लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखता है. किलार सामान्य रूप से चिनाब नदी के घाट पर बसा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. किलार में डेट नाग का एक आश्चर्यजनक मंदिर है, जो देखने लायक है! घाटी का सबसे बड़ा गाँव धरवास है और आप स्थानीय संस्कृति की उत्कृष्टता का अनुभव कर सकते हैं। पहाड़ों की चोटियों पर बर्फ के साथ हरियाली, देवदार के बड़े-बड़े वृक्ष और घाटी से बहता पानी का एक प्राचीन जलधारा इस स्थान की प्राकृतिक सुदरता को और भी बढाता है.
पांगी घाटी(Pangi Valley) की किंवदंतियाँ
लोककथाओं में कहा गया है कि पांगी घाटी इतनी दूर है कि चंबा के राजा वहाँ ड्यूटी के लिए जाने वाले अधिकारियों को ‘अंतिम संस्कार खर्च’ देते थे। मुख्य शहर से दूर होने के कारण और अत्यधिक दुर्गम मार्ग के कारण उनके लौटने की कोई गारंटी नहीं होती थी. साथ ही, ऐसा माना जाता है कि राजा अपराधियों को सज़ा के तौर पर पांगी भेजते थे.
पांगी के 5 मुख्य स्थान
हुडान घाटी (Hudan Valley) – हुडान/हुदन भटोरी पांगी घाटी में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। हुडान घाटी बौद्ध धर्म की अपनी अनूठी संस्कृति और स्थानीय त्योहारों के लिए जानी जाती है। यह स्थान किलार पांगी से 15 किमी दूर है और बस और अन्य वाहन से यहाँ पहुँचने में एक घंटे का समय लगता है। यहाँ पैर के निशान-नूमा एक तलाब है जिसके लिए किम्वदन्ती है कि हनुमान जी जब लक्ष्मण जी के लिए जडीबुटी लेने हिमालय जा रहे थें तो यहाँ उनका एक पैर पड़ा था जिससे यहाँ की जमीन का कुछ हिस्सा धस गया जिसमें बाद में पानी भर गया. इस तलाब के लिए यहाँ के लोगों में एक और किंवदन्ती प्रचलित है जिसकी चर्चा किसी अन्य ब्लॉग में विस्तार से किया जाएगा.

सुराल घाटी (Sural Valley) – सुराल घाटी पर्यटकों के लिए सबसे बड़े आकर्षण स्थलों में से एक है। यह भौगोलिक दृष्टि से समुद्र तल से 14500 फीट ऊपर है और किलार पंगी से 25 किमी दूर स्थित है। सुराल घाटी में बौद्ध और हिंदू दोनों लोग रहते हैं। पहला गाँव कनवास है जो रुसमन, ताई सेरी पर जाता है, और अंतिम सुराल बटोरी है जिसका पर्यटन पर महत्वपूर्ण प्रभाव है। सुराल भटोरी अपनी समृद्ध संस्कृति के लिए भी जाना जाता है. यहाँ एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ है और साथ ही कुछ आगे जाने पर एक सुंदर झरना है जहाँ तक अभी पर्यटकों की पहुँच नहीं हुई है जिस कारण झरने की कलरव ध्वनी दूर तक गूंजती सुनाई पड़ती है.
परमार भटोरी:- परमार घाटी एक अनोखी घाटी है, यह बहुत ही शांत और आकर्षक स्थान है जो पहाड़ों और हरी जमीन, फूलों, हिमालय के पेड़ों के लिए जाना जाता है जो आगंतुकों को आकर्षित करती है। परमार घाटी में चट्टानी क्षेत्र और बर्फ की चोटियों वाले पहाड़ हैं।
चसक घाटी : यहाँ का इतिहास बहुत पुराना है, यहाँ पांगी की सभी उप-घाटियों में से सबसे अधिक कठिन जीवनयापन है। प्राचीन समय में यह माना जाता है कि यह पांगी के बौद्ध लोगों का केंद्र था और यहाँ बड़े-बड़े मठ और स्तूप थे। बौद्ध लोग तिब्बत के साथ व्यापार करते थे। उस समय तिब्बत में पांगी लोगों को “पंग-पाह” नाम दिया गया था, जो दर्शाता है कि पांगी नाम या शब्द चसक भटोरी से उत्पन्न हुआ है। आज भी बौद्ध लोग चसक भटोरी के स्थान पर पांग कहते हैं।
हिलुटाउन घाटी(Hillu-Twan Saichu) : इसे सैचू घाटी के नाम से भी जाना जाता है, यह पेड़ों और घास के मैदानों की घाटी है, यह किलार और मनाली के बीच स्थित है। यहां का पर्यटक आकर्षण सैचू वन्यजीव अभयारण्य है, जहां भूरे भालू, हिम तेंदुआ, आइबेग और अन्य जंगली जानवर और प्राकृतिक जड़ी-बूटियां समुद्र में मिलती हैं।
साच-पास(Sach-Pass) रास्ता-
हिमाचल में बाकी स्थानों पर घूमने जाते हुए भी आप हमारे वेबसाइट की मदद ले सकते हैं- https://indipedia.in/category/destination/
One Comment