What Makes Bengaluru Special : Silicon Valley of India
बेंगलुरु(Bengaluru) जिसे भारत की सिलिकॉन वैली(Silicon Valley of India) भी कहा जाता है का जादू आज लगभग सभी युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है. आज़ादी से पहले यही जादू कोलकाता का था आज़ादी के बाद दिल्ली, बम्बई का हुआ और आज बेंगलुरु(Bengaluru) का है.
कर्नाटक में बसा यह महानगर सिर्फ़ अपनी TI की गतिशील तकनीकी दुनिया के लिए ही नहीं जाना जाता। अगर आपको शहरी दुनिया और पर्यटन दोनों का अनुभव एक ही स्थान पर लेना है तो बेंगलुरु(Bengaluru) किसी और विकसित शहर से कम नहीं है. यहाँ के हरे-भरे पार्कों से लेकर शांत झीलों और प्राचीन मंदिरों से लेकर चहल-पहल भरे बाज़ारों तक कई तरह आपको इसका अनुभव हो जाएगा कि ये शहर ऐसे ही famous नहीं है. चाहे राजसी बैंगलोर पैलेस की खोज करना हो, कब्बन पार्क में टहलना हो या शहर की प्रसिद्ध कॉफ़ी संस्कृति का आनंद लेना हो, बेंगलुरु में आपके दिल को लुभाने और आपको प्रेरित करने के लिए कुछ न कुछ ज़रूर है!
बेंगलुरु का स्वर्णिम अतीत
16वीं सदी के बेंगलुरु में चने का उत्पादन सबसे अधिक होता था जिस कारण इस शहर को “अधपके चने का गांव” भी कहा जाता था, हालाँकि आज भी बीन्स यहाँ का एक प्रमुख उत्पाद है। एक किम्वदन्ती भी प्रचलित है कि 1537 में, विजयनगर साम्राज्य के एक कट्टर हिंदू और सामंती सरदार केम्पे गौड़ा ने एक मिट्टी का किला बनवाया और गांव के बाहर चार निगरानी टॉवर बनवाए, यह भविष्यवाणी करते हुए कि एक दिन यह इतना दूर तक फैल जाएगा; बेशक, अब शहर उससे कहीं आगे तक फैला हुआ है।
सत्रहवीं शताब्दी के शुरुआत में, बेंगलुरु बीजापुर की मुस्लिम सल्तनत के अधीन चला गया और हिन्दू शासक वाडियार(Wadiyar) राजाओं के अधीन लौटने से पहले कई बार अनेक शासकों ने यहाँ राज किया। टीपू सुल्तान ने अपने समय में बेंगलुरु का एक शहर के रूप में खूब विस्तार किया और किलेबंदी की, लेकिन 1799 में अंग्रेजों ने टीपू को उखाड़ फेंका। इसके बाद उन्होंने एक छावनी स्थापित की, जिससे शहर एक महत्वपूर्ण सैन्य स्टेशन बन गया और 1881 में प्रशासन मैसूर के महाराजा को सौंप दिया गया। स्वतंत्रता के बाद, तत्कालीन महाराजा मैसूर राज्य के राज्यपाल बन गए। 1956 में बेंगलुरु को राजधानी घोषित किया गया और 1973 में कर्नाटक राज्य के निर्माण के बाद भी यह दर्जा बरकरार रहा।
वह शहर जहाँ परंपरा आधुनिकता से मिलती है
कोई भी शहर जहाँ की पारंपरिक विरासत विस्तृत होती है वहां अगर आधुनिकता के पैर जम भी जाएँ तबपर भी जबतक वहां की ऐतिहासिक धरोहर सलामत है तबतक वह शहर अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है. बेंगलुरु(Bengaluru) में 1537 में केम्पे गौड़ा(Kempegowda) द्वारा स्थापित बैंगलोर पैलेस(Bangalore Palace) है, जो अंग्रेजी महलों की याद दिलाता है, और टीपू सुल्तान का समर पैलेस, जो मैसूर के टाइगर की वीरता की निशानी है।
प्राचीन बुल मंदिर(Bull Temple) जहाँ पत्थर की संरचनाएँ मौन श्रद्धा में ऊँची खड़ी होते हुए भी झुकी हुई जान पड़ती है। इन जगहों से हुए हुए आप महसूस करेंगे कि बेंगलुरु का हर कोना राजवंशों, औपनिवेशिक युगों और स्वतंत्रता संग्राम की कहानियों को ब्यान करता है, जो इसे भारत के अतीत के जीवंत इतिहास का हिस्सा बनाता है।
लालबाग बॉटनिकल गार्डन में सैर
मुगलों के शानदार उद्यानों और तमिलनाडु के पांडिचेरी के French botanical gardens से प्रेरित होकर, सुल्तान हैदर अली ने 1760 में केंद्र से 4 किमी दक्षिण में लालबाग बॉटनिकल गार्डन की योजना बनाई। मूल रूप से 40 एकड़ में फैले इस गार्डन का विस्तार टीपू सुल्तान के शासन में किया गया था, जिन्होंने पौधों की कई विदेशी प्रजातियाँ यहाँ लाईं और आज, इस उद्यान में व्यापक बागवानी है। आगे चलकर अंग्रेज़ों ने 1856 में केव(Kew) से माली बुलवा कर लंदन के क्रिस्टल पैलेस के आधार पर यहाँ भी एक ग्लासहाउस बनाया, जहाँ आज भी अनेक प्रकार की किस्मों के फूलों के शो आयोजित किए जाते हैं।
आज का बैंगलोर
1800 के दशक में, बेंगलुरु आज जैसा नहीं था. इसकी चौड़ी सड़कें और हरे-भरे सार्वजनिक पार्कों ने इसे “गार्डन सिटी” का खिताब दिया था। हालाँकि, एक दशक से भी ज़्यादा समय से बेंगलुरु में काफ़ी बदलाव हुए हैं। आज इन शहर को “Traffic City” नाम से भी जाना जाता है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस शहर में सिर्फ traffic ही है.
यहाँ बहुत सारे ऐसे जगह हैं जहाँ के बारे में शब्दों से ज्यादा तस्वीरों के माध्यम से बताया जा सकता है तो अगर आप Instagram पर हैं तो वहां आकर इस शहर की सुन्दर तस्वीरें देख सकते हैं. बेंगलुरु की अगली कड़ी में फोटो स्टोरी के माध्यम से उस शहर की कहानी कही जायेगी तो जुड़े रहें.